संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए देश भर में 15 विश्वविद्यालय और 3 डीम्ड विश्वविद्यालय हैं। सरकार ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के माध्यम से संस्कृत भाषा के विकास हेतु निम्नलिखित उपाय भी किए हैं:
1. आदर्श संस्कृत महाविद्यालयों/शोध संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
2. संस्कृत पाठशाला के छात्रों को महाविद्यालय स्तर पर योग्यता छात्रवृत्ति प्रदान करना।
3. विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं/कार्यक्रमों के लिए गैर-सरकारी संगठनों/संस्कृत के उच्च शिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता।
4. शास्त्र चूड़ामणि योजना के अंर्तगत सेवानिवृत्त प्रख्यात संस्कृत विद्वानों द्वारा शिक्षण।
5. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आयुर्वेद संस्थान, आधुनिक महाविद्यालय और विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में गैर-औपचारिक संस्कृत शिक्षण केंद्रों की स्थापना करके, गैर-औपचारिक संस्कृत शिक्षा (एनएफएससी) कार्यक्रम के माध्यम से भी संस्कृत पढ़ाई जाती है।
6. संस्कृत भाषा के लिए प्रतिवर्ष 16 वरिष्ठ विद्वानों और 5 युवा विद्वानों को राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
7. दुर्लभ संस्कृत पुस्तकों के प्रकाशन और पुनर्मुद्रण के लिए वित्तीय सहायता।
8. संस्कृत के विकास को बनाए रखने के लिए अष्टदशी में अठारह परियोजनाएँ कार्यान्वित की गई हैं।
9. विद्यालय छात्रों के लिए संस्कृत शब्दकोश का विकास।
10. माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों के लिए ऑनलाइन व्यावसायिक विकास कार्यक्रम के लिए संस्कृत भाषा में ई-सामग्री का विकास।
11. उच्च प्राथमिक स्तर पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के संस्कृत शिक्षकों के लिए 21 दिवसीय रिफ्रेशर पाठ्यक्रम।
12. माध्यमिक स्तर पर संस्कृत कार्यपुस्तिका अभ्यासावन भव का विकास।
13. शिक्षकों और छात्रों के लिए विभिन्न ई-सामग्री का विकास।
14. वर्तमान में जारी परियोजना: संस्कृत में प्राचीन भारतीय शिक्षा विचारों के संकलन का विकास।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।