नई दिल्ली (ईएमएस)। चीन के वुहान में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने का मिशन बेहद चुनौतीपूर्ण था। बुहान में लोगों को प्लेन में लाने से पहले उनकी त्रिस्तरीय जांच करना किसी मुसीबत से कम नहीं था। वुहान एयरपोर्ट पर कम स्टाफ, बोर्डिंग से पहले तीन स्तरीय स्वास्थ्य जांच जैसी चीजें इस अभियान को और मुश्किल बना रही थीं। एयर इंडिया के दो विमानों से कुल 654 लोगों को वुहान से दिल्ली लाया जा चुका है। इनमें 647 भारतीय हैं जबकि 7 लोग मालदीव के नागरिक हैं।
एयर इंडिया के ‘अजंता’ और ‘आगरा’ विमान के साथ वुहान गए एक कर्मचारी ने इस मिशन के बेहद चुनौतीपूर्ण और डरावना अनुभव बताया। रविवार को एयर इंडिया का दूसरा विमान वुहान से 323 भारतीय और मालदीव के 7 लोगों को लेकर दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा था। दोनों विमान से वुहान गए एयर इंडिया के कर्माचारी संजय गुप्ता ने इस मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि पहली उड़ान से वुहान जाना एक कयामत जैसा अहसास दे रहा था। हम थोड़े उत्साहित भी थे। जिस दौरान हम वुहान जा रहे थे, उस समय एयर ट्रैफिक नहीं था। लैंडिंग के समय हमने देखा कि पार्किंग में खड़े विमान के इंजन को सील करके रखा गया है। यह डरावना था।
एयर इंडिया के अजंता और आगरा विमान 25 साल पुराने हैं। एयर इंडिया विमान के जरूरी पार्ट्स जैसे टायर वगैरह और इंजिनियर्स को भी साथ लेकर दिल्ली से लेकर गई थी ताकि किसी प्रकार की तकनीकी बाधा से निपटा जा सके। एयर इंडिया के निदेशक (ऑपरेशन) कैप्टन अमिताभ सिंह लोगों की घर वापसी की निगरानी करने के लिए दोनों विमानों के साथ गए थे। दिल्ली स्थित एयरलाइस कंट्रोल सेंटर से उड़ान पर लगातार नजर रखी जा रही थी। वुहान एयरपोर्ट पर कर्माचरियों की कम संख्या और बोर्डिंग से पहले यात्रियों की तीन चरणों की जांच काफी जटिल था। एयर इंडिया के पहले विमान वुहान पर छह घंटे गुजारने पड़े थे जबकि दूसरे विमान को करीब 8 घंटे का वक्त देना पड़ा था। इसके बाद ही विमान दिल्ली के उड़ान भर सके थे।
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