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वाशिंगटन में यूएसआईएसपीएफ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत की सफलता की सबसे बड़ी प्रेरक शक्ति भारतीयों की आकांक्षा है

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नई दिल्ली, 24जून।प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि भारत और अमरीका की साझेदारी स्वार्थ पर नहीं, बल्कि विश्वास, करुणा और साझा प्रतिबद्धता पर आधारित है। आज वाशिंगटन में अमरीका-भारत सामरिक साझेदारी मंच से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की सफलता का सबसे बड़ा प्रेरक-तत्व भारतीय जनमानस की आकांक्षा है और अमरीका की स्थिति भी इससे अलग नहीं है।

मोदी ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी सर्वाधिक रही है। उन्होंने कहा कि भारत का पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ रहा है और मौद्रिक घाटा नियंत्रित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है और रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो रहा है। उन्होंने कहा कि अमरीकी कंपनियों ने पिछले लगभग ढाई वर्षों में भारत में 16 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमरीका रक्षा भागीदारी के कारण अमरीका के लगभग प्रत्येक प्रांत में लोगों के साथ विशिष्ट प्रकृति का संबंध स्थापित हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियां अमरीका में अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि अब भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत-अमरीका भागीदारी दोनों देशों और उनके नागरिकों के लिए फायदेमंद है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 125 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहा है और भारत की इस विकास-गाथा में अमरीकी निवेशकों के लिए अनंत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि कारोबारी सुगमता केंद्र सरकार की प्राथमिकता है।  मोदी ने कहा कि जब-जब भारत की उन्नति हुई है, पूरी दुनिया में भी खुशहाली आई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में सबसे अधिक संख्या में युवा प्रतिभाएं हैं और सबसे अधिक कुशल और पेशेवर कार्यबल भी भारत में ही हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में प्रति सप्ताह नए विश्वविद्यालय खुल रहे हैं और हर तीसरे दिन अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला खोली जा रही है। प्रतिदिन एक नया आईटीआई खुल रहा है और प्रतिवर्ष एक नया भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान स्थापित हो रहा है। मोदी ने कहा कि इन संस्थाओं की प्रतिभाएं पूरे विश्व के कल्याण के लिए कार्यरत हैं।



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