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श्री प्रणब मुखर्जी ने प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान दिया

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15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह और इसके सदस्यों एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने आज गोवा के मुख्यमंत्री श्री प्रमोद सावंत एवं उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

वित्‍त आयोग ने यह पाया:

गोवा की आबादी 1.459 मिलियन है और यह आबादी की दृष्टि से भारत का चौथा सबसे छोटा राज्‍य (सिक्किम, मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश के बाद) है। गोवा की आबादी की वृद्धि दर प्रति दशक 8.23 प्रतिशत है।
गोवा में प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 394 लोग रहते हैं, जो प्रति वर्ग किलोमीटर 382 लोगों के राष्‍ट्रीय औसत से अधिक है। गोवा में ही शहरी आबादी का उच्चतम अनुपात है। गोवा की 62.17 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है।
अनुमानों से पता चला है कि गोवा में निवास करने वाले 20 प्रतिशत लोग बाहर से आकर यहां बस गए हैं। राज्‍य सरकार के अध्‍ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि अगले कुछ वर्षों में गोवा में बाहर से आकर बसे लोगों की संख्‍या वहां के मूल निवासियों की संख्‍या से भी अधिक हो जाएगी।
गोवा की जो प्रति व्‍यक्ति जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) है वह सभी राज्‍यों से अधिक है। यही नहीं, गोवा की प्रति व्‍यक्ति जीडीपी इसके साथ ही देश की प्रति व्‍यक्ति जीडीपी का ढाई गुना है। वर्ष 2018-19 में गोवा की प्रति व्‍यक्ति एनएसडीपी 4,67,998 रुपये थी, जबकि भारत की प्रति व्‍यक्ति आय 1,26,406 रुपये आंकी गई थी।
11वें वित्‍त आयोग ने बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के मामले में गोवा को सर्वश्रेष्‍ठ राज्‍य की रैंकिंग दी थी। इसी तरह राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या आयोग ने 12 संकेतकों के आधार पर गोवा में रहने वाले लोगों के जीवन स्‍तर को पूरे भारत में सर्वश्रेष्‍ठ बताते हुए उसे शीर्ष रैंकिंग दी थी।
गोवा की भी गिनती भारत के उन कुछ चुनिंदा राज्‍यों में की जाती है, जहां 100 प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्‍य हासिल कर लिया गया है।
वर्ष 2018-19 में गोवा के जीएसवीए (वर्तमान मूल्‍य, 2011) में प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक सेक्‍टर की हिस्‍सेदारी क्रमश: 9.6, 46.3 तथा 34.3 प्रतिशत आंकी गई थी।
पारस्‍परिक अंतरण में गोवा की हिस्‍सेदारी 2010-15 की अवधि के 0.26 प्रतिशत (जैसा कि 13वें वित्‍त आयोग ने सिफारिश की थी) से बढ़कर 2015-20 की अवधि के दौरान 0.37 प्रतिशत (जैसा कि 14वें वित्‍त आयोग ने सिफारिश की थी) हो गई।
वित्‍त आयोग ने निम्नलिखित तथ्‍यों की सराहना की:

वर्ष 2017-18 में गोवा का ‘स्‍वयं कर राजस्‍व–जीएसडीपी’ अनुपात 6.7 प्रतिशत आंका गया था, जो सभी राज्‍यों में छठा सर्वाधिक स्‍तर है। यही नहीं, जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में एनटीआर 4.3 प्रतिशत और जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में ओआरआर 11 प्रतिशत है, जो सभी राज्‍यों में सर्वाधिक है।
वर्ष 2014-15 से ही दर्ज की जा रही जीडीपी वृद्धि दर की तुलना में जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में वार्षिक वृद्धि दर बेहतर निरंतर बेहतर रही है।
वर्ष 2011-12 से लेकर वर्ष 2018-19 तक के सभी वर्षों में जीएसडीपी की दृष्टि से राज्‍य का राजस्‍व अधिशेष (सरप्‍लस) के रूप में रहा है। हालांकि, इनमें वर्ष 2012-13 और वर्ष 2013-14 अपवाद हैं।
प्रति व्‍यक्ति कर राजस्‍व वर्ष 2017-18 में पीसीआई के प्रतिशत के रूप में 7.34 प्रतिशत आंका गया।
साक्षरता दर, दशक की वृद्धि दर, कुल प्रजनन दर (टीएफआर), आईएमआर, जन्‍म दर एवं मृत्‍यु दर जैसे सामाजिक संकेतक राष्‍ट्रीय औसत से काफी बेहतर हैं।
गोवा का ऋण-जीएसडीपी अनुपात वर्ष 2017-18 में 26.32 प्रतिशत आंका गया, जो सभी राज्‍यों के औसत अर्थात् 25.51 प्रतिशत से अधिक है। गोवा को वर्ष 2017-18 के दौरान सभी राज्‍यों में 12वीं रैंकिंग दी गई।
ठोस अपशिष्‍ट के प्रबंधन एवं सीवेज के शोधन से संबंधित मु्द्दे।
पर्यटन क्षेत्र का विकास।
वित्‍त आयोग ने निम्‍नलिखित पर चिंता जताई:

पिछले कुछ महीनों से गोवा ‘स्‍वयं कर राजस्‍व’ की धीमी वृद्धि दर की समस्‍या से जूझ रहा है। अर्थव्‍यवस्‍था में छाई सुस्‍ती से गोवा की राजस्‍व अर्जन क्षमता प्रभावित हो रही है। गोवा की सांकेतिक जीएसडीपी वृद्धि दर पिछले दशक के औसतन 12 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2015-16 में 8.5 प्रतिशत के स्‍तर पर आ गई है।
राज्‍य सरकार को पूंजीगत खर्च बढ़ाने और विद्युत क्षेत्र में कुल सम्‍प्रेषण एवं वितरण (एटीएंडडी) नुकसान को समाप्‍त करने की दिशा में अग्रसर होने की जरूरत पड़ सकती है।
राज्‍य सरकार नियमित रूप से राज्‍य वित्‍त आयोग का गठन नहीं करती रही है। यही नहीं, राज्‍य सरकार ने 190 ग्राम पंचायतों और 14 शहरी स्‍थानीय निकायों (यूएलबी) के रहने के बावजूद अब तक गठित दो एसएफसी (राज्‍य वित्‍त आयोग) में से किसी भी एसएफसी की सिफारिशों को लागू नहीं किया है।
संविधान की 11वीं एवं 12वीं अनुसूची में उल्लिखित सभी कार्यों को अब तक पूरी तरह से स्‍थानीय निकायों को नहीं सौंपा गया है।
वित्‍त आयोग ने यह जानने की इच्‍छा जताई कि राज्‍य सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए क्‍या तैयारी की है। वित्‍त आयोग ने यह सूचना भी मांगी कि हर साल गोवा में घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्‍या से राज्‍य सरकार किस तरह निपटती है।

इससे पहले वित्‍त आयोग ने गोवा के विभिन्‍न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी, जिनमें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एमजीपी, जीएफपी और सीपीआई के प्रतिनिधि शामिल थे। दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दलों ने वित्‍त आयोग के समक्ष उन समस्‍त मु्द्दों एवं समस्‍याओं को उठाया, जिनसे गोवा राज्‍य को वर्तमान में जूझना पड़ रहा है।

राज्‍य सरकार ने वित्‍त आयोग के समक्ष गोवा के वर्तमान राजकोषीय हालात के साथ-साथ धनराशि संबंधी अपनी आवश्‍यकताओं के बारे में भी विस्‍तृत प्रस्‍तुति दी। राज्‍य ने समग्र कर अंतरण के अलावा 6333.32 करोड़ रुपये का अनुदान देने की मांग रखी है।

वित्‍त आयोग ने केन्‍द्र सरकार के समक्ष अपनी सिफारिशें प्रस्‍तुत करने से पहले गोवा के सभी मु्द्दों, विशेषकर ठोस अपशिष्‍ट के प्रबंधन, पर्यटन क्षेत्र के विकास इत्‍यादि से जुड़े मसलों पर गौर करने का आश्‍वासन दिया है।

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