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केवीआईसी ने नगरोटा (जम्मू-कश्मीर) केंद्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए खादी रुमाल सिलाई शुल्क को मंजूरी दी

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खादी रुमालों की बिक्री बढ़ाने और आतंकग्रस्त महिला कारीगरों की आय बढ़ाने की पहलकेंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री (एमएसएमई) श्री नितिन गडकरी के 17 दिसंबर, 2019 को जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित महिलाओं द्वारा तैयार ‘खादी रुमाल’ की बिक्री शुरू करने के दौरान दिए सुझावों के अनुरूप केवीआईसी के अध्यक्ष श्री वीके सक्सेना ने प्रति रुमाल मजदूरी दो से बढ़ाकर तीन रुपये करने को मंजूरी दी है। यह नई मजदूरी पहली जनवरी, 2020 से लागू मानी जाएगी।
नगरोटा केंद्र में हर महिला कारीगर रोजाना 4 घंटे काम करती हुई 85-90 रुमालें तैयार कर लेती हैं जिससे लगभग 170-200 रुपये कमाई हो जाती है। अब संशोधित मजदूरी के साथ प्रत्येक महिला लगभग 250-300 रुपये कमा लेंगी जो उनकी आय में लगभग 50% की वृद्धि है। 17 दिसंबर 2019 को लॉन्च होने के बाद से खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने लगभग 30,000 खादी रुमालें बेची है। केवीआईसी ने स्थानीय महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए नगरोटा में केंद्र स्थापित किया है।

राष्ट्र-निर्माण की दिशा में इसे एक बड़ा कदम बताते हुए केवीआईसी के अध्यक्ष श्री वीके सक्सेना ने कहा कि इस प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के बाद से ही केवीआईसी का इरादा ‘खादी रुमाल’ को बढ़ावा देना और जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के परिवारों के लिए सार्थक योगदान करना है। अभी इस सिलाई केंद्र की क्षमता 130 महिला कारीगरों की मदद से प्रतिदिन 10,000 ‘खादी रुमाल’ का उत्पादन है।

इस पहल के बारे में श्री वीके सक्सेना ने कहा कि ‘खादी रुमाल’ उस विश्वास का प्रतीक है जो नगरोटा के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं का माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी पर है, वे ‘सबका साथ विकास’ की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी हम 130 महिलाओं को रोजगार देने में सक्षम हैं और जैसे-जैसे खादी रुमाल की बिक्री बढ़ेगी, हम इस क्षेत्र की 4000 महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र से जोड़ेंगे।

शुद्ध कपास से बनी सफेद खादी रुमाल देश में विभिन्न खादी बिक्री केंद्रों पर बेची जा रही हैं। इन रुमालों की पहुंच और उपलब्धता बढ़ाने के लिए पेटीएम ने अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए दो करोड़ खादी रुमालें बेचने पर सहमति जताई है।

इस पहल की प्रभाव क्षमता को रेखांकित करते हुए श्री सक्सेना ने कहा कि हमने 2020 तक 5 करोड़ खादी रुमाल बेचने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि 5 करोड़ खादी रुमाल बनाने के लिए लगभग 15 लाख किलोग्राम कपास की खपत होगी और इसकी कताई लिए 25 लाख मानव कार्य दिवस, बुनाई के लिए 12.5 लाख मानव कार्य दिवस और कटाई, सिलाई और पैकेजिंग के लिए लगभग 7.5 लाख मानव कार्य दिवस की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार आजीविका के लिए 44 लाख मानव कार्य दिवस का सृजन होगा और विभिन्न कारीगरों में 88 करोड़ रुपये की मजदूरी बांटी जाएगी।

श्री सक्सेना ने कहा कि भारत के नागरिकों का विनम्र योगदान परिवर्तन की इस यात्रा की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। उन्होंने बताया कि बाजार में ब्रांडेड रुमाल की कीमत लगभग 100-200 रुपये प्रति रुमाल है जबकि बढ़िया क्वालिटी की खादी रुमाल की कीमत महज 50 रुपये है। उन्होंने हर भारतीय से अपील करते हुए कहा कि वे एक खादी रुमाल खरीदें और इसमें निहित देशभक्ति की अनूठी भावना का अनुभव करें।

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