पारम्परिक बजट निर्माण प्रक्रिया से हटकर नवाचारी विचारों पर काम करें :मुख्यमंत्री कमल नाथ
भोपाल (ईएमएस)। पूर्ववर्ती योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम.एस. अहलूवालिया ने राज्यों की बढ़ती वित्त जरूरतों और वित्तीय सीमाओं को देखते हुए वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन कानून को नये संदर्भों में दोबारा लिखने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण आर्थिक अधोसंरचना परियोजनाओं में बजट की कमी को दूर करने के लिये निजी – सार्वजनिक भागीदारी का कानून बनाने पर भी विचार करना चाहिए। वे आज यहाँ स्थानीय मिंटो हाल में ‘परियोजनाओं के लिये वैकल्पिक वित्त व्यवस्था’ विषय पर वित्त विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री नाथ ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे विश्व का आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। इसलिए वित्तीय संस्थाओं और वित्त की व्यवस्था करने वाली सरकारों को भी अपनी सोच में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में महत्वाकांक्षी युवाओं का बड़ा समुदाय रहता है और उसकी महत्वाकांक्षाएँ पूरी करने के लिए ज्यादा बजट संसाधनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बदले हुए और लगातार बदल रहे भारत और भारतीय राज्यों के लिए वित्तीय व्यवस्थाएँ करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। इसलिए बैंकों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्रों को परिवर्तन के साथ स्वयं को बदलने की और परिवर्तनों को अपनाने की आवश्यकता है। इसलिए पारम्परिक बजट निर्माण की प्रक्रिया से अलग हटकर वैकल्पिक व्यवस्थाओं और नवाचारी विचारों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रोजगार पैदा करने वाली आर्थिक गतिविधियों पर लगातार ध्यान देना जरूरी हो गया है।
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