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सीसीआई ने कारोबारी समूहन में संलिप्तता के लिए टायर निर्माताओं और उनके संघ पर जुर्माना लगाया

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने पांच टायर कंपनियों अपोलो टायर्स लिमिटेड, एमआरएफ लिमिटेड, सीईएटी लिमिटेड, जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बिड़ला टायर्स लिमिटेड और उनकी एसोसिएशन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) के खिलाफ 31.08.2018 को अंतिम आदेश पारित किया था। यह आदेश प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (‘अधिनियम’) की धारा 3(1) के साथ पठित धारा 3(3)(ए) और 3(3)(बी) के प्रावधान का उल्लंघन करते हुए प्रतिस्थापन बाजार में इन कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले क्रॉस प्लाई/बायस टायर वेरिएंट की कीमतों में वृद्धि करने और उक्त बाजार में उत्पादन और आपूर्ति को सीमित और नियंत्रित करने के लिए सामूहिक रूप मिलकर कारोबार में लिप्त होने के खिलाफ किया गया है।

इससे पहले, सीसीआई के उक्त आदेश को माननीय मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सीलबंद लिफाफे में रखा गया था, जो एमआरएफ लिमिटेड द्वारा अधिमान्य 2018 के डब्ल्यूए नंबर 529 में जारी किया गया था। तत्पश्चात, माननीय मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिनांक 06.01.2022 के एक आदेश द्वारा इस संदर्भ में की गई याचिका की अपील को खारिज कर दिया। इसके पश्चात, टायर कंपनियों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एसएलपी दायर की, जिसे दिनांक 28.01.2022 को माननीय न्यायायल के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया।

इस मामले को कॉरपोरेट मामले मंत्रालय (एमसीए) से प्राप्त एक संदर्भ के आधार पर अधिनियम की धारा 19(1)(बी) के तहत प्रारंभ किया गया था। उक्त संदर्भ ऑल इंडिया टायर डीलर्स फेडरेशन (एआईटीडीएफ) द्वारा एमसीए को दिए गए एक अभ्यावेदन पर आधारित था।

आयोग ने नोट किया कि टायर निर्माताओं ने अपने एसोसिएशन, ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने अपनी एसोसिएशन के माध्यम से एक-दूसरे के साथ मूल्य-संवेदनशील डेटा का आदान-प्रदान किया था, और टायर की कीमतों पर सामूहिक निर्णय लिया था। आयोग ने यह भी पाया कि एटीएमए ने वास्तविक समय के आधार पर टायरों के उत्पादन, घरेलू बिक्री और निर्यात पर कंपनी-वार और खंड-वार डेटा (मासिक और संचयी दोनों) से संबंधित जानकारी एकत्र और संकलित की। इस प्रकार, आयोग ने नोट किया कि इस तरह की संवेदनशील जानकारी को साझा करने से टायर निर्माताओं के बीच समन्वय आसान हो गया।

तदनुसार, सीसीआई ने 2011-2012 के दौरान पांच टायर निर्माताओं और एटीएमए को अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी ठहराया, जो कार्टेल सहित प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों को प्रतिबंधित करती है।

सीसीआई ने अपोलो टायर्स पर 425.53 करोड़ रुपये, एमआरएफ लिमिटेड पर 622.09 करोड़ रुपये, सिएट लिमिटेड पर 252.16 करोड़ रुपये जेके टायर पर 309.95 करोड़ रुपये और बिरला टायर्स पर 178.33 करोड़ रुपये का जुर्माना लगात हुए एक सीज और डिसिस्ट आदेश भी पारित किया है। इसके अलावा, एटीएमए पर 0.084 करोड़ रुपये का जुर्माना लगया गया है। एटीएमए को सदस्य टायर कंपनियों के माध्यम से या अन्यथा थोक और खुदरा जुटाने से स्वयं को पृथक करने का भी निर्देश दिया।

इसके अलावा, उक्त टायर कंपनियों और एटीएमए के कुछ व्यक्तियों को अधिनियम की धारा 48 के प्रावधानों के अनुसार उनकी संबंधित कंपनियों/संघों के प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण के लिए उत्तरदायी भी ठहराया गया है।

2013 के मामले संख्या 08 के संदर्भ में आदेश की एक प्रति सीसीआई की वेबसाइट पर निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है:

https://www.cci.gov.in/sites/default/files/08-of-2013.pdf



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